जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा॥
रत्न जड़ित सिंहासन, राजत मनोहर।
शंख, चक्र, गदा, पद्म धरत, चारु सुन्दर॥
जय लक्ष्मी रमणा...
भव्य चंवर डोलत, गगन सुमन बरसावत।
हरषित सुर-गण गावत, मंगल गान करावत॥
जय लक्ष्मी रमणा...
ग्वाल-बाल संग राजा, वन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीन्हों, दीनदयाल हरी॥
जय लक्ष्मी रमणा...
चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल, मेवा।
धूप दीप तुलसी से, राजी सत्यदेवा॥
जय लक्ष्मी रमणा...
श्री सत्यनारायण जी की आरती, जो कोई नर गावै।
ऋद्धि-सिद्धि सुख-संपत्ति, सहज रूप पावै॥
जय लक्ष्मी रमणा...