ॐ जै श्री ब्रह्मचारी बाबा, जै श्री ब्रह्मचारी ।
परम दयामय बाबा, जै हो तपधारी ॥ ॐ जै श्री ब्रह्मचारी ॥1॥
विप्र वंश प्रभु प्रगटे, सिरोही है ग्रामा ।
शिवकुण्ड किन्ही तपस्या, श्रीनन्द गुरु नामा ॥ ॐ जै श्री ब्रह्मचारी ॥2॥
जटा मुकुट अतिसुन्दर, केसर तिलक किए।
नेत्र राम रस पीते, युग-युग नाथ जिए ॥ ॐ जै श्री ब्रह्मचारी ॥3॥
वण्डी भूषित तन पर, गले माला सोहे।
उज्वल धोती कटि पर, चरण कमल मोहे ॥ ॐ जै श्री ब्रह्मचारी ॥4॥
कारोली मारोली, विघोपुर वासी ।
मन्सा करी तपस्या, जै प्रभु सुख राशी ॥ ॐ जै श्री ब्रह्मचारी ॥5॥
बाडलवास बलेश्वर, वृन्दावन जाते ।
पाणेता भैरूँजी, दर्शन को आते ॥ ॐ जै श्री ब्रह्मचारी ॥6॥
देव ऋषि जन आवे, जै जै कार करे ।
अन्नपूर्णा माता, नित्य भंडार भरे ॥ ॐ जै श्री ब्रह्मचारी ॥7॥
ब्राह्मणवास विराजो, भक्तन सुखकारी,
प्रभु मुद मंगलकारी । सेवक किस विध गाये,
महिमा अति भारी ॥ ॐ जै श्री ब्रह्मचारी ॥8॥
दिव्य सुनारी मंदिर, वन वन के वासी ।
सेवक जन प्रभु पद की, कव झांकी मिलसी ॥ ॐ जै श्री ब्रह्मचारी ॥9॥
माव भक्ति से निशदिन, हरि गुण जो गाने,
प्रभुजी राम गुण जो गावे, मिले दयामय बाबा,
सेवक सुफल पावे ॥ ॐ जै श्री ब्रह्मचारी ॥10॥
मिले संत तपधारी ॥ ॐ जय श्री ब्रह्मचारी ॥
जो बोले सो अमंगल मिटे – श्री गुरुदेव भगवान की जय ॥
श्री गुरुचरणकमलेभ्यो नमः ॥ श्री गुरुचरणकमलेभ्यो समर्पितम् ॥