🔴 जगदीश जी की आरती - प्रभु की भक्ति में मन को लगाएं, संकटों से मुक्ति पाएं।

🙏 जगदीश जी की आरती 🙏

जगदीश जी
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे
ओम जय जगदीश हरे ॥1॥

जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का
स्वामी दुख बिनसे मन का, सुख संपत्ति घर आवे
सुख संपत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का
ओम जय जगदीश हरे ॥2॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी, तुम बिन और न दूजा
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ मैं किसकी
ओम जय जगदीश हरे ॥3॥

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी
स्वामी तुम अंतर्यामी, पारब्रह्म परमेश्वर
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी
ओम जय जगदीश हरे ॥4॥

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता
स्वामी तुम पालनकर्ता, मैं मूरख खल कामी
मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता
ओम जय जगदीश हरे ॥5॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति
स्वामी सबके प्राणपति, किस विधि मिलूं दयामय
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति
ओम जय जगदीश हरे ॥6॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे
स्वामी तुम रक्षक मेरे, अपने हाथ उठाओ
अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा मैं तेरे
ओम जय जगदीश हरे ॥7॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा
स्वामी पाप हरो देवा, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतों की सेवा
ओम जय जगदीश हरे ॥8॥

तन मन धन सब कुछ है तेरा, स्वामी सब कुछ है तेरा
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा
ओम जय जगदीश हरे ॥9॥

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
ओम जय जगदीश हरे ॥10॥

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