वन्दे मातरम्

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*Samachar:*

NEWS WITH BBC


VICHAR

Vishesh lekhakon dwara pratibaddh vichar, manoranjan, aur gyanvardhak lekh. अकबर इलाहाबादी के इस शेर से बहुत पहले हिंदी का एक कवि इसी बात को ब्रजभाषा मे लिखकर गया है-- अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानक बांक नही अर्थात प्रेम में सयाने लोगो के लिए कोई जगह नही है। बुद्धि से तो गुणा-गणित होता है,सौदे होते हैं प्रेम में तो बस कोई दिल मे उतर जाता है और उसके बाद कुछ भी उसके अलावा अच्छा नही लगता। रीतिकाल के कवियों में घनानंद की कविताएं जितनी मार्मिक हैं उससे कहीं ज्यादा मार्मिक तो उनका जीवन है इसीलिए तो उन्होंने लिखा--मोहि तो मेरे कवित बनावत। घनानंद अगर बुद्धि से सोचते तो उन्हें एक वेश्या से प्रेम कैसे हो सकता था?वेश्या शब्द ही जिस समाज मे गाली हो उससे प्रेम करने की जुर्रत कोई भला आदमी कैसे कर सकता था। प्रेम भी कैसा जो इकतरफा था लेकिन वो प्रेम कितना गहरा था जिसने घनानंद को उस राजा से विद्रोह करने की ताकत दे दी जिसके आश्रय में व


*Kahaniya:*

Anmol kahaniya jeevan ki sikh, manoranjan, aur prerak kahaniyon ka ek bhandar.


*Geeta aur Ramayan:*

Adhyatmik grantho ka gyaan, mulyon aur paramparaon ki dhara.




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